भोपाल मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के रोलिंग स्टॉक
भोपाल मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के रोलिंग स्टॉक
मेट्रो रेल सार्वजानिक परिवहन का सबसे उत्कृष्ट साधन है, मेट्रो रेल प्रणाली शहरों में बढ़ती जनसँख्या और इसकी परिवहन प्रणाली पर अत्यधिक दबाव को दूर करने के लिए विकसित की गई है। लोगों के आवागमन के लिए उचित परिवहन सुविधाएं उपलब्ध हों, यह सुनिश्चित करने के लिए एक सार्थक और स्थायी जन परिवहन प्रणाली आवश्यक हो जाती है । इसी को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन जल्दी ही मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मेट्रो रेल सेवाएं चालू करने वाला है। भोपाल में मेट्रो रेल का प्रायोरिटी कॉरिडोर लगभग 7 किमी लंबा है, जो एम्स से लेकर सुभाष नगर तक है। रोलिंग स्टॉक को मेट्रो रेल प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
रोलिंग स्टॉक: रोलिंग स्टॉक रेलवे वाहनों को कहते है, जिसमें लोकोमोटिव, यात्री कार (कोच), फ्रेट वैगन, गैर-राजस्व कार जैसे संचालित और बिना शक्ति वाले दोनों शामिल हैं।
कोच/कार : कोच/कार वे यात्री वाहन हैं जो शक्तिहीन, स्व-चालित, एकल और बहु-इकाई हो सकते हैं।
बोगी: बोगी रोलिंग स्टॉक में चेसिस या ढांचा है जिसमे व्हीलसेट (पहियों और धुरों की एक मॉड्यूलर सब असेंबली) रहते है।
अब, हम रेक के घटकों पर एक नज़र डालते हैं:
रेक वह संरचना है, जिसे लोग देखते हैं और उसमें यात्रा करते हैं, जो पूरी ट्रेन को दर्शाता है। भोपाल मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए मुख्य रूप से दो तरह के कोच/कार का रेक बनाया जाता है:
● ड्राइविंग मोटर कार (डीएमसी)
● ट्रेलर कार (टीसी)
इन इकाइयों को एक विशेष क्रम में एक रेक बनाने के लिए जोड़ा जाता हैI एक निश्चित समय में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले लोगों की जनसंख्या घनत्व के आधार पर कोचों की संख्या और ट्रेन की लंबाई निर्धारित की जाती है।
भोपाल मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट कुल 27 ट्रेनसेट्स/ रेक्स से चालू होने वाला है एवं इसके कोचों के अनुशंसित और डिज़ाइन किए गए क्रम इस प्रकार हैं:
3 कार यूनिट - इसे मेट्रो सिस्टम की बेसिक यूनिट माना जाता है। प्रणाली में 2 ड्राइविंग मोटर कार (DMC) और एक ट्रेलर कार (TC) शामिल हैं। यह मेट्रो संचालन के लिए न्यूनतम मान्य संख्या है जो कम जनसंख्या घनत्व वाले स्थानों के लिए पसंदीदा और उपयुक्त है। जंग प्रतिरोधक क्षमता और मजबूती को बढ़ाने के लिए कोच के डिब्बों को स्टेनलेस स्टील से बनाया जा रहा है।
मेट्रो रेल की गति: मेट्रो ट्रेन का उद्देश्य हमारे शहरी यातायात को सुविधाजनक बनाना है एवं मेट्रो रेल स्टेशन एक- दूसरे से काफी करीब रहते हैं। इसी वजह से मेट्रो रेल सिस्टम को 90 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति के हिसाब से डिजाइन किया गया है, लेकिन यात्री सेवा में भोपाल मेट्रो रेल अधिकतम 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी I
हेडवे: लगातार चलने वाली दो ट्रेनों के बीच के समय अंतराल को हेडवे के रूप में जाना जाता गया है। भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट में ट्रेनों को 90 सेकेंड हेडवे के लिए डिजाइन किया गया है। हालांकि, यह पैसेंजर के ट्रैफिक के हिसाब से भी तय किया जा सकता है।
ट्रेन का विन्यास: मेट्रो ट्रेन में दो ड्राइविंग मोटर कार (DMC) और एक ट्रेलर कार (TC) शामिल हैं, जिसमें 66.66% मोटराइजेशन और सेमी-परमानेंट कपलर हैं।
• डीएमसी+टीसी+डीएमसी
संचालन का तरीका: मेट्रो ट्रेन को दो प्रकार के ऑटोमेशन मोड में संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है,
1.GOA-2 (ग्रेड ऑफ ऑटोमेशन-2): GOA-2 ऑपरेशन में ट्रेन ड्राइवर द्वारा लीडिंग DMC कार के ड्राइवर कैब में चलाई जाती है, जिसमें ट्रेन को चलाने के लिए जरूरी सभी कंट्रोलिंग सिस्टम होते हैं।
2.GOA-4 (ऑटोमेशन-4 का ग्रेड): यह प्रणाली रेलवे ऑटोमेशन की सबसे उन्नत प्रणाली है जिसमें ट्रेन बिना ड्राइवर के चलती है और DMC के ड्राइवर कैब को विभाजन द्वार हटाकर हटा दिया जाता है जबकि कंट्रोलिंग यूनिट को कवर किया जाता है। इसे अनअटेंडेड टैरिन ऑपरेशन (UTO) भी कहा जाता है।
भोपाल मेट्रो रेल परियोजना की योजना के अनुसार प्रारंभिक चरण में मेट्रो रेल चालक (GOA-2) द्वारा चलाई जाएगी, जो बाद में चालक रहित (GOA-4) चलेगी । भोपाल मेट्रो रेल में लंबवत (लोंगीटूडिनल) बैठने की व्यवस्था होगी। 3-कार मेट्रो ट्रेन की यात्री क्षमता 971 है।
सीसीटीवी कैमरा सिस्टम: आज के आधुनिक युग में जहां सुरक्षा सर्वोपरि है, सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे महत्वपूर्ण हैं। सभी सुरक्षा मापदंडों को ध्यान में रखते हुए भोपाल मेट्रो रेल ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे कोच के अंदर और बाहर लगाए जाएंगे I जिनका उपयोग आपात स्थिति में यात्रियों की गिनती, ट्रेक पर नजर रखने, पहचान के लिए किया जाएगा साथ ही ट्रेन में लावारिस बैग और कैमरा टेम्परिंग का पता लगाने के लिए होगा I
डोर : हर कोच में कुल 8 द्वार होंगे, चार एक तरफ और चार दूसरी तरफ। इसके साथ ही ट्रेन के दोनों डीएमसी कोचों में एक इमरजेंसी गेट होगा जिसे आगे की तरफ डिटेनमेंट डोर कहा जाता है, जिसे किसी आपात स्थिति में यात्रियों के निकलने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है I
एयर कंडीशनिंग सिस्टम: भोपाल मेट्रो रेल यात्रियों की सुविधा के लिए बहुत ही अत्याधुनिक एयर कंडीशनिंग सिस्टम रहेगा, जिसकी एयर कूलिंग यात्री भार के अनुसार अलग-अलग होगी। एयर कंडीशनिंग सिस्टम को एयर फिल्ट्रेशन में रोगाणु नियंत्रण के साथ डिजाइन किया गया है I
डिस्प्ले यूनिट : भोपाल मेट्रो रेल में डिस्प्ले यूनिट का काम काफी अहम है। ट्रेनों में अलग-अलग तरह की डिस्प्ले यूनिट लगाई जाएंगी, जिससे यात्रियों को यात्रा के दौरान ट्रेन के रूट, गेट खुलने की दिशा, अगले स्टेशन आदि की सही जानकारी मिलती रहे। सभी के ऊपर ट्रेन के अंदर अलग-अलग तरह की डिस्प्ले यूनिट लगाई जाएंगी, साथ ही ट्रेन के सामने और ट्रेन के बाहर डिब्बे के साइड में भी डिस्प्ले यूनिट लगाई जाएंगी। मनोरंजन और सूचना के उद्देश्य से कोच के अंदर डिस्प्ले में इंफोटेनमेंट सिस्टम की भी व्यवस्था होगी I लाउडस्पीकरों के माध्यम से यात्रियों को अतिरिक्त जानकारी के लिए एक लयबद्ध अनाउंसमेंट सिस्टम होगा I
स्मार्ट लाइटिंग: मेट्रो रेल सेवा में लाइटिंग के लिए एक एडवांस सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमे कोच की लाइटिंग का लेवल नेचुरल लाइट के हिसाब से अलग-अलग होगा I इसके साथ ही ट्रेन की खिड़कियों पर पराबैंगनी (यूवी) किरणों के प्रवेश को रोकने के लिए फिल्म होगी।
पीईसीयू (पैसेंजर इमरजेंसी कम्युनिकेशन यूनिट): प्रत्येक कोच में 4 पीईसीयू यूनिट होंगी, जिनकी मदद से यात्री किसी आपात स्थिति में ड्राइवर से बात कर सकते हैं। GOA-4 सिस्टम (UTO) में यात्री सीधे ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (OCC) से बात कर सकेंगे।
फायर अलार्म, स्मोक अलार्म सिस्टम और फायर एक्सटिंग्विशर: प्रत्येक कोच में 4 फायर और स्मोक अलार्म लगाए गए हैं, जो किसी भी आपात स्थिति के समय कंट्रोलिंग यूनिट को सूचित और सावधान करते हैं। इसके साथ ही बेहतर आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रत्येक कोच में अग्निशमन यंत्र भी लगाए जाएंगे।
स्थिति आधारित निगरानी प्रणाली:
1. हॉट एक्सल डिटेक्शन सिस्टम
2. ODDD डिवाइस (ऑब्स्ट्रक्शन डिफ्लेक्शन एंड डिरेलमेंट डिटेक्शन डिवाइस)।
3. व्हील प्रोफाइल मापन प्रणाली:
4. स्वचालित ट्रैक निगरानी प्रणाली:
ब्रेकिंग सिस्टम: रीजेनरेटिव ब्रेकिंग के साथ ब्रेकिंग सिस्टम के लिए हमारी मेट्रो में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा जो ट्रेन के भार के अनुसार काम करेगा।
साइबर सुरक्षा प्रणाली: इस प्रणाली को ट्रेन में परिचालन नेटवर्क की सुरक्षा और बढ़ते हुए साइबर क्राइम के खतरों से बचाने के लिए साथ ही साथ एडवांस्ड खतरों का पता लगाने और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार नियामक अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
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