भोपाल मेट्रो: शहरी विकास की ओर एक कदम
कहते है परिवर्तन प्रकृति का नियम है और इस नियम का मानव आदिकाल से पालन करता आ रहा है। परिवर्तन के इस नियम ने मानवजाति को लगातार विकास के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। हम बात किसी भी क्षेत्र की करें, आदिकाल से परिवर्तन हर तरफ देखने को मिल रहा है,और इसी तरह का बदलाव और परिवर्तन सार्वजनिक परिवहन के क्षेत्र में भी लगातार देखने में आ रहा है। हमारे देश भारत की बात करें तो परिवहन के क्षेत्र में हमारे देश में भी परिवर्तन आ रहे है। अब अगर बात मध्य प्रदेश की करें तो मध्य प्रदेश भी सार्वजनिक परिवहन के क्षेत्र में दूसरे प्रदेशों से कहीं भी पीछें नहीं है। अविकसित कहें जाने वाले मध्य प्रदेश में पिछले कुछ सालों में विकास की जो इबारत लिखी है उसने दूसरों प्रदेशों को चौकानें के साथ ही उन्हें प्रेरित भी किया है। वैसे तो मध्य प्रदेश के हर शहर और कस्बे में विकास की धारा तेजी से बह रही है लेकिन प्रदेश की राजधानी भोपाल में विकास की यह धारा तेज गति से बह रही है। सार्वजिनक परिवहन के क्षेत्र में यह शहर लगातार नए नए आयाम स्थापित कर रहा है। भोपाल में जल्द शुरू होने जा रही मेट्रो रेल सेवा भी नगरी परिवहन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी ।
बैलगाड़ी से मेट्रो की तरफ बढ़ते क़दम
शैल शिखरो और झीलों के शहर भोपाल ने सार्वजनिक पविहन में लगातार हो रहे बदलाव को करीब से देखा है। एक दौर था जब भोपाल के लोग एक ही शहर के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने या आवगामन के लिए बैलगाड़ी का इस्तेमाल करते थे,फिर एक दौर आया जब बैलगाड़ी के स्थान पर घोड़ा गाड़ी और तांगे चलन में आए । समय बदलता रहा और साथ ही शहर के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के साधनो में भी बदलाव आता रहा। ऐसा नहीं है कि बैलगाड़ी के दौर से पहले आवगमन का कोई साधन नहीं था,वह दौर अलग था जब हाथी,ऊंट ,घोड़े, खच्चर और पालकी आवगमन के साधन हुआ करते थे लेकिन वह दौर राजा- महाराजाओं और अंग्रेज़ो के शासन का दौर था। हम बात कर रहे है भारत के आजादी के बाद के दौर की, यानि के 1947 के बाद से लगातार आ रहे परिवर्तन की। 1947 के बाद से भारत में जहां एक शहर से दूसरे शहर और एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश आने जाने वाले सार्वजनिक परिवहन में लगातार परिर्वतन तो आ ही रहे है, लेकिन साथ साथ अगर हम बात करें नगरीय परिवहन यानि इंट्रा सिटी ट्रांसपोर्ट की तो इस क्षेत्र में भी बदलाव साफ देखने को मिल रहे है । मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की बात करें तो हाथ गाड़ी,बैलगाड़ी,तांगे, घोड़ागाड़ी,बग्गी,सायकल रिक्शा,टेम्पो,आटो,बस , मिनी बस,मेजिक वाहन ,बीआरटीएस इत्यादि का दौर देख चुके इस शहर के लोग अब जल्द ही मेट्रो रेल का दौर देखने वाले है। मध्य प्रदेश मेट्रो , भोपाल में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रहा है। मध्य प्रदेश मेट्रो का पूरा प्रयास है कि भोपाल के लोगो को शहर के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए मेट्रो ट्रेन की सौगात अगले साल तक मिल जाए ।
मध्य प्रदेश मेट्रो, भोपाल में मेट्रो रेल जल्द से जल्द शुरु करने लिए प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में यदि भोपाल की प्रगति पर नजर डाले तो प्रायोरिटी कारिडार के तहत मेट्रो वायडक्ट 6.225 किमी लंबाई की पाइलिंग का कार्य 100 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है।वहीं स्टेशन के लिए सिविल कार्य भी पूरी प्रगति पर है। जिसमें सभी स्टेशन की पाइलिंग का कार्य भी 100 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है । सुभाष नगर स्टेशन के कानकार्स लेवल के 10 पीयर आर्म, पाइल एवं पाइल कैप का कार्य भी 100 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है व अन्य स्टेशन के कार्य भी प्रगति पर है। मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन के अधिकारी मेट्रो रेल कार्य की प्रगति पर नजर रखे हुए है और साथ ही कार्य की प्रगति की लगातार समीक्षा भी कर रहे है। सुभाष नगर डिपो में अब तक लगभग 35 प्रतिशत पाइलिंग का कार्य पूर्ण हो चुका है। निर्माण कार्य को और गति देने के लिए मजदूरों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है।
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